Sunday 15 March 2009

गाँव बसा नहीं, लुटेरे पहले आ गए !


हमारा देश वाकई खुश किस्मत है ! क्योंकि हमारे यहाँ प्रधानमंत्री चुनने के लिए किसी चुनाव की ज़रूरत नहीं है ! हमारे यहाँ तो डिनर पार्टियों में ही पीएम तय कर लिए जाते है ! रही बात जनता की तो जनता का क्या है ! भाई पीएम बनने के लिए जनता की मर्ज़ी पूछने का तो हमारे संविधान में कही ज़िक्र ही नहीं है ! जनता जाए **** में ! तो भला जनता को क्यों बीच में लाकर उसका कीमती वक्त जाया किया जाए ? बेचारी जनता दो वक्त की रोटी की जुगाड़ में ही इतना व्यस्त रहती है की उसे वोट डालने की भी फुरसत नहीं है ! malavi men एक kahavat है ....गाँव बसा नही, लुटेरे पहले आ गए ! चुनाव aayog ने अभी chunavon की ghoshana की ही थी की एक साथ प्रधानमंत्री के कई davedar maidan में ताल thok कर खड़े है ! ये vo लोग है जिनका janadhar ना के barabar है ! जो देश की दस pratishat जनता का pratinidhtv भी नहीं करते...! फ़िर भी पीएम बनने के sapane देखा रहे हैं ! देखे भी क्यों न क्योंकि ये जानते है की इस देश में पीएम बाई chans ही बनते है ! gathabandhan की इस blekmail वाली rajaniti में कुछ भी हो sakata है! जब vp singh, dev gauda, और gujaral बिना janadhar के पीएम बन skate है तो ये क्यों नही? चलिए jyada बात न करते हुए ख़बर आपके सामने .... आप ही बताये iname से किसे banana chaahiye पीएम?

बीएसपी सुप्रीमो मायावती फिलहाल तीसरे मोर्चे के किसी दल के साथ सीटों के तालमेल के लिए राजी नहीं हैं। उनका कहना है कि बीएसपी अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी। हां , प्रधानमंत्री के सवाल पर वे इतना जरूर मान गईं कि इसका फैसला चुनाव के बाद होगा। उन्होंने कहा कि चुनावों से पहले नाम तय करने की कोई जरूरत नहीं है। गौरतलब है कि तीसरे मोर्चे की तुमकुर रैली के दौरान मायावती के प्रतिनिधि सतीश मिश्रा ने कहा था कि अगर मायावती को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया तो बीएसपी तीसरे मोर्चे में शामिल नहीं होगी। इस पर लेफ्ट दलों के विरोध के बाद मायावती ने अपना स्टैंड बदल लिया। रविवार को मायावती ने यहां प्रेस कॉन्फ्रंस की तो बीएसपी महासचिव सतीश मिश्रा भी उनके साथ थे। मायावती ने कहा कि बीएसपी इस बार किसी भी कीमत पर कांग्रेस और बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधनों की सरकार बनने से रोकेगी। लेकिन सहयोगी के रूप में मायावती ने लेफ्ट के अलावा किसी और दल का नाम लेने से परहेज किया। उन्होंने कहा, 'इस काम में हमारे साथ वामपंथी दल और कुछ अन्य दल भी जी-जान से लगे हैं।' मायावती ने यह खुलासा नहीं किया कि बीएसपी कितने सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। मगर यह कहा कि कांग्रेस और बीजेपी को परखने के बाद देश की जनता को इस बार बीएसपी को केंद्र में सरकार बनाने का मौका देना चाहिए। मायावती ने जहां राष्ट्रीय दलों कांग्रेस और बीजेपी पर जमकर हमले किए, वहीं, यूपी की अपनी पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी का जिक्र भी नहीं किया। मायावती ने शायद पहली बार एक साथ इतने राष्ट्रीय मुद्दों को छुआ होगा। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीतियों, महंगाई, बेरोजगारी, सीमाओं की सुरक्षा और आतंकवाद का जिक्र किया। मायावती ने कहा कि तीसरे मोर्चे की बढ़ रही ताकत से कांग्रेस और बीजेपी बौखला गई हैं। पिछले दो-तीन दिन से इन दोनों पार्टियों के नेता मोर्चे और उसके नेताओं के बारे में फिजूल बयानबाजी कर रहे हैं। इससे जाहिर होता है कि इन्हें अपना भविष्य अंधकारमय लग रहा है। मायावती के गुरुद्वारा रकाबगंज रोड स्थित नए सरकारी आवास में रविवार को डिनर का आयोजन किया गया। इसमें तीसरे मोर्चे के नेताओं ने यूपीए और एनडीए के घटक दलों को अपने खेमे में खींचने के तरीकों पर विचार किया। इस डिनर से पहले सीपीएम के मुख्यालय ए. के. गोपालन भवन में लेफ्ट दलों ने बीएसपी को छोड़कर बाकी सहयोगी दलों के साथ बैठक की और तीसरे मोर्चे की राजनीतिक ताकत की समीक्षा की। बैठक के बाद सभी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ताकतों से गैर-कांग्रेसी और गैर-बीजेपी सरकार बनाने के लिए एकजुट होने को कहा गया। बैठक में बीजेडी ने भी भाग लिया। डिनर से पहले सीपीएम के पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी ने जनता दल युनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव से मुलाकात की। फिलहाल दोनों ने मुलाकात के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया, मगर समझा जा रहा है कि येचुरी ने यादव को तीसरे मोर्चे के अस्तित्व में आने और उसकी संभावनाओं के बारे में बताया है।