Monday 26 April 2010

महंगाई के विरोध में देशव्यापी बंद कल

महंगाई के खिलाफ वाम मोर्चा और सपा, राजद, अन्नाद्रमुक, तेदेपा, बीजद सहित 13 राजनीतिक दल मंगलवार को भारत बंद करेंगे।

संसद में पेट्रोल, डीजल और खाद की कीमतों में बढोतरी के खिलाफ इन दलों के साथ कटौती प्रस्ताव पेश करने वाली भाजपा हालांकि इस बंद का हिस्सा नहीं बनेगी।

मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पहल पर इन 13 दलों के नेताओं ने पिछले दिनों राष्ट्रीय राजधानी में दो दौर की बैठकें कीं, जिसके बाद तय किया गया था कि महंगाई के खिलाफ 27 अप्रैल को देशव्यापी हड़ताल की जाएगी और पेट्रोल, डीजल तथा खाद की कीमतों में वृद्धि के खिलाफ लोकसभा में कटौती प्रस्ताव पेश किया जाएगा।

इन दलों के नेताओं ने संसद परिसर में आयोजित संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में ऐलान किया है कि महंगाई के खिलाफ सरकार से उनकी जंग की शुरूआत हो चुकी है और यह लडाई सड़क से संसद तक लड़ी जाएगी।

माकपा ने सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी में बसपा को भी शामिल करने का प्रयास किया था लेकिन बात बन नहीं सकी और बसपा ने अब संकेत दे दिए हैं कि वह कटौती प्रस्तावों का समर्थन नहीं करेगी।

इन 13 दलों के नेता देश भर में होने वाले प्रदर्शनों की अगुवाई करेंगे जबकि मुख्य प्रदर्शन दिल्ली में होगा। मुख्य विपक्षी दल भाजपा महंगाई के खिलाफ 21 अप्रैल को ही महारैली कर चुकी है।

मोदी का मायाजाल...

पिछले कुछ साल में भारतीय क्रिकेट की सबसे कद्दावर हस्ती बने ललित मोदी का पतन भी कम नाटकीय नहीं रहा और उन्हें उसी साम्राज्य से नेस्तनाबूद कर दिया गया जो उन्होंने खुद खड़ा किया था।
इंडियन प्रीमियर लीग [आईपीएल] के फाइनल के कुछ देर बाद ही मोदी को निलंबित कर दिया गया जिससे आईपीएल कमिश्नर और चेयरमैन के रूप में उनका सफर समय से पहले थम गया। पांच बरस पहले बीसीसीआई के सबसे युवा उपाध्यक्ष बने मोदी की अक्खड़ कार्यशैली ने उनके विरोधियों की जमात खड़ी कर दी। यही वजह है कि आईपीएल में वित्तीय अनियमितताओं की बात सामने आते ही उन्हें हटाने के लिए लोग लामबंद हो गए। इंडियन प्रीमियर लीग के जन्मदाता मोदी भारतीय क्रिकेट के सबसे प्रभावशाली शख्स बनने से पहले महज एक व्यवसायी थे। आईपीएल बीसीसीआई के लिए ऐसी दुधारू गाय साबित हुआ जिसने पिछले तीन साल में उसके वारे-न्यारे कर दिए।
मोदी के 46 बरस के जीवन पर दृष्टिपात करें तो काफी उतार-चढ़ाव नजर आते हैं। सबसे पहले विवादों से उनका साबका कालेज के दिनों में पड़ा जब वह 1985 में अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे। उन्हें ड्रग्स की कथित तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
भारत लौटने पर मोदी ने कई व्यवसायों में हाथ आजमाए और बाद में क्रिकेट में पदार्पण किया। बीसीसीआई में प्रवेश का उनका प्रयास आखिरकार 2004 में सफल हुआ। राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की तथाकथित सरपरस्ती में वह राजस्थान क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बने। ऐसा आरोप है कि राजे सरकार ने खेल अधिनियम में संशोधन करके मोदी को 40 साल बाद हुए आरसीए चुनाव में मदद की। मोदी की जीत से कइयों के अहम को ठेस पहुंची जिसमें पूर्व अध्यक्ष किशोर रूंगटा शामिल थे। रूंगटा ने मोदी पर धोखेबाजी का आरोप लगाया। मोदी की कामयाबी का सिलसिला यहां से शुरू हुआ तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अगले साल वह बीसीसीआई के उपाध्यक्ष बने।
शरद पवार जब जगमोहन डालमिया को हराकर बीसीसीआई अध्यक्ष बने तब मोदी उनके साथ थे। यही वजह है कि इस धुरंधर राजनीतिज्ञ ने समूचे घटनाक्रम में मोदी का साथ दिया।
आईपीएल की अवधारणा के साथ मोदी मीलों आगे निकल आए। उन्होंने कारपोरेट समूहों और बालीवुड को जोड़कर क्रिकेट का ऐसा तमाशा तैयार किया जो 2008 में पहली गेंद फेंके जाने से पहले ही सुपरहिट हो गया।
क्रिकेट और फिल्मों के दीवाने भारत में इन दोनों का मिलन दर्शकों के लिए वरदान से कम नहीं रहा। शहर पर आधारित फ्रेंचाइजी टीमों के मुकाबले देखने के लिए दर्शक मैदान पर टूट पड़े। ऐसा आरोप है कि राजे सरकार ने खेल अधिनियम में संशोधन करके मोदी को 40 साल बाद हुए आरसीए चुनाव में मदद की।
ऐसी खबरें थी कि मोदी का कोलकाता नाइट राइडर्स, राजस्थान रायल्स और किंग्स इलेवन पंजाब में हिस्सा है लेकिन पहले साल में ये अटकलें बेदम साबित हुई। दूसरे सत्र में आईपीएल और मोदी फिर विवादों से घिर गए। भारत में आम चुनावों से इसकी तारीखें टकराने के कारण सरकार ने आईपीएल से तारीखों में बदलाव के लिए कहा।
लेकिन अक्खड़ मोदी सुनने के मूड में ही नहीं थे। उन्होंने गृहमंत्री की सुने बिना टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका में कराया। अब ऐसा संदेह है कि उनमें से कई मैच फिक्स थे और मोदी खुद इसमें शामिल थे।
तीसरे सत्र में विवादों की इंतहा हो गई जब नए सत्र के लिए दो नई टीमों की बोली लगी। बोली लगने से पहले मोदी को पहला झटका लगा जब वह आरसीए का चुनाव हार गए। नई आईपीएल टीमों की नीलामी पहले रद्द हो गई क्योंकि बीसीसीआई का मानना था कि मोदी की रखी शर्ते काफी कड़ी थी। नीलामी होने पर कोच्चि को फ्रेंचाइजी मिलने से सभी को हैरानी हुई।
रेंदेवू स्पो‌र्ट्स व‌र्ल्ड जैसे गुमनाम ग्रुप ने अडानी समूह और वीडियोकान को हराकर फ्रेंचाइजी हासिल की। इसके बाद मोदी ने टीम के मालिकाना हक का ब्यौरा उजागर करके भानुमति का पिटारा खोल दिया। इसके चलते केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को इस्तीफा देना पड़ा और उनकी करीबी दोस्त सुनंदा पुष्कर को 70 करोड़ की स्वैट इक्विटी। इसके बाद आईपीएल और फ्रेंचाइजी टीमों के दफ्तरों पर आयकर विभाग के छापे पड़े जिससे इस टी20 लीग में वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ।
बीसीसीआई ने सारे मसलों पर बातचीत के लिए आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की बैठक बुलाई लेकिन मोदी ने इसे अवैध करार देते हुए कहा कि वह ऐसी किसी बैठक में भाग नहीं लेंगे। बाद में उन्होंने मन बदलकर बैठक की अध्यक्षता करने का ऐलान किया लेकिन बोर्ड ने इससे पहले ही उन्हें निलंबित कर दिया।