Sunday, 23 May 2010

जब मैं पहुंचा दिल्ली ब्लागर मिलन समारोह: दिल्ली से योगेश गुलाटी

मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल की और,
राह में हमदम मिले...कारवां बनता गया!
जी हां कुछ ऎसा ही था दिल्ली ब्लागर मिलन समारोह्! जलजला जी से मिलने की आस लिये मैं जा पहुंचा नांगलोई की जाट धर्मशाला! रविवार का दिन था, लेकिन सूरज जम कर अपना कहर बरसा रहा था! लेकिन हमने भी ठाना था ब्लागजगत की जानी मानी हस्तीयों से रुबरु होना ही है! सो जा पहुंचे नांगलोई रेलवे स्टेशन की उस छोटू राम जाट धर्मशाला! वहां एक गोल घेरा बनाये कुछ लोग पहले से ही बैठे थे! देश और समाज के लिये चिन्ता की जो लकीरें उनके चेहरे पर दिख रही थीं, उसे देख कर हमने पहचान लिया कि ये सभी ब्लागर्स ही हैं! सभी सोच में मगन थे, एक दूसरे से कम ही बात कर रहे थे! हम भी साईड की एक कुर्सी पर जा बैठे! और अन्य ब्लागर्स की तरह चिन्तन में मगन हो गये! जलपान की भी अछ्छी व्यवस्था थी इसलिये सभी ब्लागर्स ने उसका भी लुत्फ उठाया! जिन बलागर्स को मैं पहचान पाया उनमें थीं संगीता पुरी, अविनाश जी और खुशदीप सहगल! इसके अलावा भी कईं सुविख्यात ब्लागर बंधु और उनकी ब्लागर बहनें पधारी थीं! हम उम्मीद कर रहे थे कि वे भी अपने कीमती विचार रखेंगी, लेकिन उन्होंने श्रोता बनने में ही रुचि दिखाई! यह मीट इस मायने में भी खास थी कि इसमें शिरकत करने वाले कुछ लोग ब्लोगर तो नहीं थे, लेकिन वो ब्लोग के पाठक ज़रूर थे! उन्होंने भी भविष्य में अपना ब्लोग शुरु करने की इच्छा जताई! चंडीदत्त शुक्ल काफी देर बाद आये, सबसे आखिर में पहुंचे अजय जी! सभी ने दोनों का स्वागत किया! ब्लागर्स मीटिंग शुरु हो चुकी थी! सभी ने ब्लागर मिलन समारोह को एक सराहनीय पहल बताया! इसके बाद सभी ने अपने विचार व्यक्त किये! बढती गर्मी में ब्लागरों के शीतल विचार हवा की ठंडी लहर की तरह लग रहे थे! सभी ने ब्लागर संघ बनाने और भविष्य में ब्लागर मिलन समारोह करते रहने पर सहमति जताई! ब्लागिंग से जुडे अन्य कईं मुद्दों पर भी खुल कर चर्चा हुई! जिनमें हिन्दी ब्लागिंग का भविष्य, सेन्सरशिप, आचार संहिता, तकनीकी जानकारी, समाज में जागरुकता, ब्लागिंग के माध्यम से सार्थक पहल, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इत्यादि प्रमुख थे! अंत में संगीता पुरी जी ने सभी का आभार प्रकट किया! इसके बाद सामूहिक फोटो सेशन हुआ, जिसमें सभी ब्लागरों ने बढ-छढ कर हिस्सा लिया! आते-जाते लोग बडी हैरानी से ये सब देख रहे थे, उन्हें नहीं समझ आ रहा था कि ये सब हो क्या रहा है? शायद उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं रहा हो कि ये हिंदी ब्लाग जगत के इतिहास का एक पन्ना दर्ज हो रहा था!