Saturday 28 November 2009

एक अनोखी मुलाकात...!

कहते हैँ कि अगर आप किसी को सच्चे मन से याद करते हैँ तो प्रकृति खुद आपको उस शख्स से मिलवाने की कोशिश मेँ जुट जाती है! जी नहीँ प्रेम सँबँधोँ की नहीँ मानवीय सँबँधोँ की बात कर रहा हुँ..! अगर आप ये सोच रहे हैँ कि मैँ कोई रोमाँटिक किस्सा सुनाने जा रहा हूँ तो आपको निराशा हाथ लग सकती है! अपने एक मित्र के साथ दिल्ली के कनाट प्लेस इलाके मेँ टहलते हुए मेरे कदम अचानक गाँधी खादी भवन की और मुड गये! रीगल टाकिज के पास स्थित ये खादी भवन खासा फेमस है! मित्र ने कहा,- तुम्हेँ बीस पच्चीस साल बाद यहाँ जाने के बारे मेँ सोचना चाहिये! “तुम्हेँ ये किसने कहा कि आदमी उम्र से ही बूढा होता है!” मेरे इस जवाब पर वो खिल-खिला कर हस पडा! और बोला “ठीक है मै चला घर की तरफ! तुम खादी भवन मेँ गाँधी को याद करो! मित्र को विदा कर मैने खादी भवन मेँ प्रवेश किया! वहाँ की चीज़े वाकई लाजवाब थीँ! खादी के कपडे, हाथ से बने घरेलू सामान, लकडी की मूर्तियाँ, कोट- सूट, साडियाँ, दुपट्टे, खादी के कुर्ते, हर चीज़ मेँ कुछ खास बात थी! और कीमत भी वाजिब ही थी! निचले तल मेँ सामने की तरफ दुर्लभ आयुर्वेदिक दवायेँ रखी थीँ! तो हर्बल साबुन और हर्बल क्रीम भी थी! हर्बल प्रोडक्ट्स की तो भरमार थी! मन कर रहा था सब कुछ खरीद लूँ! लेकिन जेब इसकी इजाजत नहीँ देती थी! इसलिये क्या ना खरीदूँ इसकी लिस्ट बनाने लगा!

वातावरण मेँ एक अजीब सी सुगँध घुल रही थी! ऐसा लग रहा था मानो कुछ होने वाला है! लेकिन क्या ये मै नहीँ जानता था! तभी पीछे मुड कर देखा! लिफ्ट खुली और उसमेँ एक बूढा आदमी दिखाई दिया! उसके हाध मेँ लाठी थी! सिर पर मफलर बँधा था! खादी का कुर्ता उसपर उनी स्वेटर, सफेद पजामा और सादी चप्पल! एक अधेड उम्र का व्यक्ति उसे बाजूओँ से थामे हुए था! साथ मेँ थे दो खादी धारी शख्स! जो शकल से नेता दिखाई दे रहे थे! और आगे थे सादी वर्दी मेँ दो अधिकारी! लिफ्ट का दरवाज़ा खुलते ही उस बूढे व्यक्ति को थामे वो लोग बाजू मेँ बने एक कैबिन की तरफ बढने लगे! छोटे- छोटे कदमोँ से चलते हुए वो लोग कैबिन तक पहुँचे! खादी भवन का स्टाफ अभी तक ये जान नहीँ पाया था कि वो व्यक्ति कौन है? जैसे ही वो लोग मेरे करीब से होकर गुज़रे सामने खडे स्टाफ मेँ से एक ने मुझसे पूछा, “कौन हैँ ये”? मेरे मुँह से निकला;- “जार्ज फर्नाँडिस” ! ज़बान ने कह तो दिया लेकिन मेरा दिमाग इस बात पर यकीन नहीँ कर रहा था! लेकिन ये सुनते ही वहाँ खडे स्टाफ मेँ हलचल मच गई! तत्काल स्वागत के लिये सीनियर स्टाफ वहाँ पहुँचा! चाय और नाश्ता मँगवाया गया! जार्ज फर्नाँडिस के लिये खादी के कुछ कुर्ते लेकर स्टाफ की एक महिला कर्मचारी वहाँ पहुँची! फर्नाँडिस के साथ बैठे उनके मित्र खरीदारी मेँ उनकी मदद कर रहे थे! वो उनहेँ खादी के कुर्ते दिखा रहे थे और जार्ज फर्नाँडिस आँख के इशारे से उनमेँ से कुछ को पसँद कर रहे थे!
पास खडा मैँ एक-टक भारत के पूर्व रक्षा मँत्री को देख रहा था! दुनिया के सबसे उँचे लडाई के मैदान सियाचीन ग्लेशियर पर जा कर जवानोँ की मुश्किलोँ का जायज़ा लेने और उनहेँ दूर करने वाले जोर्ज फर्नॅँडिस देश के पहले रक्षा मँत्री थे, जिनहोँने सत्रह बार सियाचीन ग्लेशियर का दौरा किया था! मुझे यकीन नहीँ हो रहा था वो शख्स जो लँबी फर्लाँगोँ मेँ सँसद भवन की दूरी नाप देता था, आज छोटे कदमोँ से चलने को मजबूर था!
जार्ज फर्नाँडिस दूर दृष्टि के नेता रहे हैँ! चीन के नापाक इरादोँ को वो पहले ही भाँप चुके थे! शायद इसीलिये जब वो देश के रक्षा मँत्री थे तो उन्होँने चीन को दुश्मन नँबर एक कहा था! उनका ये बयान खासा चर्चित हुआ था! उनहोँने चीन को पाकिस्तन को हथियार सप्लाय करने पर भी झिडकी लगाई थी! हिमालयी क्षेत्र मेँ चीनी सेना की बढती गतिविधियोँ पर उनहोँने देश को चेताया था! और ड्रेगन के नापाक इरादोँ से सावधान रहने की हिदायत सेना को दी थी! मैँ देख रहा था मजबूत इरादोँ वाले फर्नाँडिस को...आज वो शरीर से कितने कमज़ोर नज़र आ रहे थे?
मेरी आँखोँ मेँ सँसद का वो मँजर घूमने लगा! जब विपक्ष तहलका मामले मेँ नाम आने पर उनके इस्तीफे की माँग पर अडा था! और सँसद की कार्यवाही नहीँ चलने दे रहा था! लेकिन ज़िद्दी फर्नाँडिस अडे हुए थे! वो कह रहे थे मैँ निर्दोष हूँ! लेकिन विपक्ष भी इतनी आसानी उनहेँ छोडने के मूड मेँ नहीँ था! सँसद मेँ घमासान मचा था! फर्नाँडिस इस्तीफा देने को तैयार नहीँ हुए तो विपक्ष ने उनका बहिष्कार कर दिया! अब सदन मेँ जब भी फर्नाँडिस बोलने खडे होते तो विपक्ष जम कर हँगामा करता! फुल्कन कमिटी की रिपोर्ट मेँ जार्ज फर्नाँडिस को क्लीन चिट दे दी गई थी! लेकिन एनडीए के बाद आई यूपीए सरकार ने फुल्कन कमिटी की रिपोर्ट को खारिज करते हुए जस्टिस के वेँकटास्वामी की अध्यक्षता मेँ एक नई कमिटी का गठन किया! लँबी जाँच प्रक्रिया के बाद इस इस समिती ने भी जार्ज फर्नाँडिस को दोषी नहीँ पाया! तहलका मामले ने तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष बँगारू लक्षमण की बलि ले ली थी! लेकिन फर्नाँडिस अपनी मिस्टर क्लीन छबि बचाने मेँ कामयाब रहे थे! हालाकि उनहीँ की पार्टी की तत्कालीन जनरल सेक्रेटरी जया जेटली को स्टिँग आपरेशन मेँ दिखाया गया था!! जिसके बद फर्नाँडिस के लिये अग्नि परीक्षा शुरु हो गई थी! ताबूत घोटाले मेँ भी उनका नाम उछाला गया था! तो बराक एँटी मिसाइल स्केम मेँ भी सीबीआई ने उनके खिलाफ साल 2006 मेँ मामला दर्ज किया था! लेकिन हर बार अपनी मिस्टर क्लीन की छबि को बचाने मेँ वो कामयांब हुए थे!
जार्ज फर्नाँडिस एनडीए के सँयोजक ही नहीँ एनडीए के तारणहार भी थे! हर बार एनडीए की नैया को बीच भँवर से उनहोँने निकाला था! एनडीए की पहली सरकार मेँ जब जयललिता नाराज़ हो जाती थीँ तो जोर्ज उन्हेँ मनाने पोएस गार्डन ( तमिलनाडु मेँ जयललिता का घर) जाते थे! और हर बार उनहेँ मना लेते थे! 1999 मेँ जब 24 पर्टीयोँ का गठबँधन एनडीए पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता मेँ आया तो जार्ज फर्नाँडिस को रक्षा मँत्री बनाया गया! इधर कारगिल की पहाडियोँ पर पाकिस्तानी सेना ने कब्ज़ा कर लिया! जिसके बाद एलओसी को पार ना करने के विवादित निर्णय के साथ भारत ने घुसपैठियोँ को खदेडने के लिये आपरेशन सर्प विनाश की घोषणा कर दी! यानि शुरु हो गया था कारगिल का युध्द ! विपक्ष और मीडिया ने घुसपैठ के लिये खुफिया तँत्र की विफलता को दोषी ठहराया! तो तत्कालीन रक्षा मँत्री जार्ज फर्नाँडिस ने इसे सिरे से खारिज कर दिया! और कहा कि कारगिल मामले मेँ खूफियातँत्र विफल नहीँ हुआ था! बाद मेँ कारगिल मामले पर बने के सुब्रमण्यम कमिशन ने भी फर्नाँडिस के दावे की पुष्टि की!
जार्ज फर्नाँडिस मेरे सामने बैठे थे! अपने भाषण से विरोधियोँ की बोलती बँद कर देने वाले जोर्ज (जोशीले) फर्नाँडिस आज बिल्कुल मौन थे! उनके साथ आये कुछ नेता फर्नाँडिस से अपनी नजदीकियोँ के किस्से सुना रहे थे! इसी दौरान इमेरजेँसी की यादेँ ताज़ा हो रही थीँ! बिहार का एक पूर्व विधायक झारखँड से बिहार के अलग होने का दर्द बँया करते हुए बोला,- “हमसे अलग होकर झारखँड को क्या मिला? झारखँड की खादानोँ पर तो अब भी हमारा ही कब्ज़ा है!” मुँह मेँ चबाते पान को निगलने की कोशिश करते हुए उसने कहा,- “इमर्जेँसी के वक्त जब इँदिरागाँधी ने बरोडा डायनामाइट काँसपरेसी मेँ फर्नाँडिस को जेल भेजा था, उस वक्त उंनके साथ पुलिस ने मुझे भी पकड लिया था! लेकिन आज.... वो मुझे पहचानते ही नहीँ!”
“हाँ जबसे बाथरूम से गिरे हैँ याद्दाश्त कमज़ोर सी हो गई है!” साथ आये दूसरे नेता ने बीच मेँ टोका! तभी मेरी नज़रेँ जार्ज फर्नाँडिस से जा मिलीँ! मैँने देखा फर्नाँडिस मेरी तरफ एक टक देख रहे हैँ! मैँ हैरान था! जिसकी एक नज़र पाने के लिये कभी नेताओँ और अफसरोँ की पूरी फौज बिछी होती थी, वो एक टक मेरी तरफ देख रहा था! मैँने झुक कर अभिवादन किया! फर्नाँडिस और मेरे बीच शीशे की एक दीवार थी! जिसके दूसरी तरफ कुर्सी पर फर्नाँडिस बैठे थे! मेरी खुशी का ठिकाना नहीँ रहा जब फर्नाँडिस ने मेँरे अभिवादन का जवाब दिया! मुझे एक टक निहारती उनकी आँखेँ कुछ कह् रही थीँ..! क्या? ये मैँ अब तक नहीँ समझ पाया! लेकिन मेरी आँखोँ के सामने इमेरजेँसी की वो कहानी तैर रही थी जिसने भारत मेँ लोकतँत्र की दिशा ही बदल दी थी!
3जून 1930 को मैँगलोर मेँ जन्मेँ जार्ज फर्नाँडिस ने एक ट्रेड यूनियन नेता के रुप मेँ अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत मुँबई से की थी! 1967 के आम चुनाव मेँ मुँबई के लोकप्रिय नेता एस के पाटिल को हरा कर उनहोँने राजनीतिक पँडितोँ को चकित कर दिया था! इस हार के बाद एस के पाटिल का राजनीतिक कैरियर खत्म हो गया था! 1975 की इमरजेँसी का विरोध करने पर फर्नाँडिस के खिलाफ वारँट जारी हो गया था! लेकिन जार्ज फर्नाँडिस भूमिगत हो गये! काफी मशक्कत के बाद भी जब वो पुलिस के हाथ नहीँ लगे तो पुलिस उनके भाई फ्लोरेँस फर्नाँडिस को पकड कर ले गई! इमरजेँसी के बाद जब जनता पार्टी की सरकार मेँ उद्योग मँत्री बने तो कोका कोला और आइबीएम जैसी बहुराष्ट्रीय कँपनीयोँ को फेरा के तहत देश से बाहर जाने का फरमान जारी कर दिया!

फर्नाँडिस के साथ बैठे उनके मित्र उनहेँ कईँ तरह के खादी के कुर्ते दिखा रहे थे! लेकिन जोर्ज फर्नाँडिस एक टक मुझे देख रहे थे! ये देख उनके मित्र ने मुझे पास आने का इशारा किया! जार्ज फर्नाँडिस के पास पहुँच कर मैँने एक बार फिर हाथ जोड कर उनका अभिवादन किया! अपना परिचय देते हुए मैँने कहा; “आपसे मुलाकात का बहुत मन था! लेकिन कभी सोचा ना था कि आपसे इस तरह अचानक भेँट होगी!” मेरी इस बात पर वो मुस्कुरा दिये! और चुप्पी साध ली! मेरी हैरानी को भाँप कर उनके मित्र बोले’-
”अस्सी साल के हो गये हैँ! जब हम इनकी उम्र मेँ आयेँगे तो शायद चल भी ना पायेँगे!”
लेकिन जोशीले फर्नाँडिस खुद के लिये खादी के कपडे लेने आये थे! मैँने भी खादी के कुर्ते चुनने मेँ उनकी मदद की! इसके बाद हम लोग लिफ्ट से नीचे उतरे! देश के मजबूत रक्षामँत्री रहे जार्ज फर्नाँडिस छोटे-छोटे कदमोँ चल रहे थे! और हम उनका सहारा बनेँ उनके साथ चल रहे थे! खादी भवन के सामने ही कुछ दूरी पर तीन गाडियाँ पार्क की गईँ थीँ! नीली बत्ती की बीच वाली गाडी मेँ फर्नाँडैस जब बैठे तो उनहेँ पुन: प्रणाम कर मैँने उनसे विदा ली! लेकिन मुझे अब भी यकीन नहीँ हो रहा था.....मैँ मन ही मन प्रणाम कर रहा था उस समाजवादी की सादगी को!