राजस्थान में एक युवक के जुए की लत की कीमत उसकी पत्नी को अपनी इज्जत से चुकानी पड़ी है। बारां के सल्लू ने जुए में 50 हजार रुपए हारकर अपनी पत्नी को दांव पर लगा दिया और हार बैठा। जीतने वाले जुआरियों ने विवाहिता को जंगल ले जाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। किसी तरह भागकर वह अपने पीहर पहुंची और मां को सारी व्यथा सुनाई। गुरुवार को मां-बेटी ने एसपी से मिलकर मामले की शिकायत की है। उन्होंने डीएसपी को गांव जाकर जांच करने के आदेश दिए हैं।
विवाहिता की शिकायत के मुताबिक, दस साल पहले उसकी शादी बटावदापार गांव में सल्लू के साथ हुई थी। पति को जुआ खेलने की लत थी। गत 25 मार्च को सल्लू जुए में पचास हजार रुपए हार गया। रुपए की एवज में उसने पत्नी को ही दांव पर लगा दिया। जब सल्लू रात 12 बजे घर आया तो पत्नी को बाहर जाने के लिए कहा। घर से बाहर निकलते ही गांव के परसराम ने उसे पकड़कर मुंह में रूमाल ठूंस दिया और हाथ-पैर रस्सी से बांध दिए। बाद में उसे जीप में डालकर जंगल ले जाया गया जहां तीन लोगों ने उसके साथ सामूहिक दुराचार किया।
31 मार्च की रात जब जुआरी शराब के नशे में बेसुध हो गए, तब वह मौका पाकर भाग निकली। जंगल में भटकते हुए सड़क पर आई और एक बस ड्राइवर की मदद से गुना (मप्र) चली गई। गुना से वह अपने पीहर रूठियाई गांव आई और अपनी मां को सारी दास्तान सुनाई।
भरोसा नहीं फिर भी जांच
महिला के बयान में विरोधाभास है। उसके अपने पति से संबंध ठीक नहीं हैं। 29 मार्च को उसके पति सल्लू ने खुद गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया था। भरोसा नहीं होता, कोई पति अपनी पत्नी के साथ ऐसा कर सकता है? -ओमप्रकाश, एसपी, बारां
अपहरण नहीं
एसपी के आदेश से गांव जाकर पूछताछ की है। विवाहिता की पुत्री, पुत्र, सास और पड़ोसियों से पूछताछ में अपहरण की कोई बात सामने नहीं आई। फिर भी मामले की जांच की जा रही है। -राजेन्द्रसिंह चारण, डीएसपी, छबड़ा
एक पति के द्धारा जुएं में अपनी पत्नी को दांव पर लगा देना किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता। आपकी नजर में ऐसे पति को क्या सजा दी जानी चाहिए?
विवाहिता की शिकायत के मुताबिक, दस साल पहले उसकी शादी बटावदापार गांव में सल्लू के साथ हुई थी। पति को जुआ खेलने की लत थी। गत 25 मार्च को सल्लू जुए में पचास हजार रुपए हार गया। रुपए की एवज में उसने पत्नी को ही दांव पर लगा दिया। जब सल्लू रात 12 बजे घर आया तो पत्नी को बाहर जाने के लिए कहा। घर से बाहर निकलते ही गांव के परसराम ने उसे पकड़कर मुंह में रूमाल ठूंस दिया और हाथ-पैर रस्सी से बांध दिए। बाद में उसे जीप में डालकर जंगल ले जाया गया जहां तीन लोगों ने उसके साथ सामूहिक दुराचार किया।
31 मार्च की रात जब जुआरी शराब के नशे में बेसुध हो गए, तब वह मौका पाकर भाग निकली। जंगल में भटकते हुए सड़क पर आई और एक बस ड्राइवर की मदद से गुना (मप्र) चली गई। गुना से वह अपने पीहर रूठियाई गांव आई और अपनी मां को सारी दास्तान सुनाई।
भरोसा नहीं फिर भी जांच
महिला के बयान में विरोधाभास है। उसके अपने पति से संबंध ठीक नहीं हैं। 29 मार्च को उसके पति सल्लू ने खुद गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया था। भरोसा नहीं होता, कोई पति अपनी पत्नी के साथ ऐसा कर सकता है? -ओमप्रकाश, एसपी, बारां
अपहरण नहीं
एसपी के आदेश से गांव जाकर पूछताछ की है। विवाहिता की पुत्री, पुत्र, सास और पड़ोसियों से पूछताछ में अपहरण की कोई बात सामने नहीं आई। फिर भी मामले की जांच की जा रही है। -राजेन्द्रसिंह चारण, डीएसपी, छबड़ा
एक पति के द्धारा जुएं में अपनी पत्नी को दांव पर लगा देना किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता। आपकी नजर में ऐसे पति को क्या सजा दी जानी चाहिए?
5 comments:
धर्मराज युधिष्ठिर की जय हो!
आज के जमाने में यह सब-अजब बात है.
यह सच भी हो सकता है और एक मिथ्या कहानी भी। ऐसा क्यों? इस के कारण उस सामाजिक व्यवस्था में तलाश करने पड़ेंगे जिस मे ये लोग जीते हैं।
आज के दौर में ऐसी कहानी ... सच है या झूठ ... फैसला होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
AAJ KAL BHI YE HOTA HAI YE TO SHARMANAAK AUR NINDANIYA HAI...
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