चौतरफा समर्थन से उत्साहित नजर आ रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कड़े रुख के कारण कैबिनेट में ज्यादा मंत्रिपद की मांग पर अड़े यूपीए के प्रमुख सहयोगी डीएमके की दाल नहीं गल पाई। आखिरकार उसने सरकार से बाहर रह कर समर्थन देने का फैसला किया है। मंत्रिपद की जद्दोजहद में कड़ा रुख अपनाते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पहले के साढ़े छह सांसद पर एक कैबिनेट मंत्री के फामरूले को सख्त बनाते हुए संदेश भिजवा दिया कि दस सांसदों पर एक कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा। मनमोहन शुक्रवार शाम 6:30 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे।
नाराज हुआ डीएमके
इस फामरूले से डीएमके ने नाराजगी जताते हुए बातचीत समाप्त कर दी और कहा कि वह सरकार का बाहर से समर्थन करेगा। डीएमके रेल मंत्रालय, भूतल परिवहन मंत्रालय, आई टी जैसे अहम मंत्रालय मांग रहा था। लेकिन कांग्रेस रेल, भूतल परिवहन मंत्रालय देने को राजी नहीं हुई।
मनाने की कोशिश
देर रात तक चली डीएमके को मनाने की कोशिश में दो कैबिनेट मंत्री, एक स्वतंत्र प्रभार और चार राज्य मंत्री देने का फामरूला सामने आया। लेकिन डीएमके ने अझागिरी, कोनीमोझी, दयानिधि मारन के साथ टी आर बालू और ए राजा को भी कैबिनेट मंत्री बनाने की मांग रख दी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल जैसे नेता डीएमको को मनाने में कामयाब नहीं हुए। करुणानिधि ने कहा है कि चेन्नई में पार्टी कार्यसमिति की बैठक में भावी रणनीति तय की जाएगी। एजेंसी के मुताबिक कांग्रेस ने कहा है कि बातचीत अभी जारी है। डीएमके पिछली सरकार की तरह सीट और विभाग मांग रहा है जो उसे स्वीकार नहीं है।
ममता राजी, मिलेगी रेल
मनमोहन के नए फामरूले के तहत ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को एक कैबिनेट मंत्रालय दिया जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस के कोटे से पांच राज्य मंत्री भी बनाए जा सकते हैं। पहले ममता डीएमके से एक ज्यादा मंत्री की मांग पर अड़ गई थीं, पर बाद में वह मान गईं।
क्यों मानी ममता?
तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी एक कैबिनेट व पांच राज्यमंत्रियों के फामरूले पर राजी।
कारण
पश्चिम बंगाल में दो साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। ममता को यदि मुख्यमंत्री बनना है तो यह कांग्रेस के समर्थन से ही संभव। उद्योगों के खिलाफ होने की छवि से मुक्त होने के लिए उदार आर्थिक नीतियों वाली कांग्रेस के साथ की जरूरत। तृणमूल को पश्चिम बंगाल में एकतरफा जीत हासिल नहीं हुई है। इसलिए वाम मोर्चे पर अभी से दबाव बनाने के लिए सत्ता और साथ की जरूरत।
एनसीपी नाखुश
एनसीपी कोटे के मंत्रालयों पर भी लगातार बातचीत चलती रही। सूत्रों के मुताबिक शरद पवार को केवल कृषि मंत्रालय देने की बात पर एनसीपी खेमा खुश नजर नहीं आया। प्रफुल्ल पटेल के मंत्रालय को लेकर भी असमंजस बना रहा। कांग्रेस नागरिक उड्डयन मंत्रालय अपने पास रखने की इच्छुक है।
अब्दुल्ला भी नाराज
तय फामरूले के तहत नेशनल कान्फ्रेंस के फारुक अब्दुल्ला को भी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने की चर्चा चलती रही। इसके कारण जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला नाराज बताए जा रहे हैं। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के मुताबिक राजद के लालू यादव के नाम पर कोई विचार नहीं हुआ है। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को भी कोई जिम्मेदारी न मिलने के संकेत हैं।
हो सकते हैं पंजाब से दो मंत्री
पंजाब से अब एक के बदले दो सांसदों को मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है। चंडीगढ़ से लगातार जीत हासिल करने वाले पवन बंसल को इस बार कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल सकता है। उनके अलावा मंत्रिमंडल में पटियाला से चुनी र्गई पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर और जालंधर से सांसद व पंजाब कांग्रेस के प्रधान मोहिंदर सिंह केपी को शामिल किया जा सकता है। कांग्रेस के अलग-अलग खेमों ने अपने समर्थकों को मंत्री बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया है।
क्या होगा सुशील कुमार शिंदे का?
दलित नेता सुशील कुमार शिंदे कैबिनेट का हिस्सा होंगे या नहीं? इस बात को लेकर महाराष्ट्र में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। कांग्रेस का एक बड़ा तबका उन्हें लोकसभा का स्पीकर बनाने पर तुला है, परंतु महाराष्ट्र के कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि ऐसा करना पार्टी के लिए आत्मघाती कदम साबित हो सकता है।
क्या मलाई है इन मंत्रालयों में?
बड़े बजट वाले मंत्रालयों में आर्थिक लाभ का ‘स्कोप’ तो है ही जनाधार बढ़ाने की राजनीतिक मलाई भी है।
रेल : बड़े बजट के साथ बड़ी संख्या में नौकरियां। आम जीवन से लेकर उद्योग जगत तक से व्यापक संपर्क।
दूरसंचार : तेजी से बढ़ता मंत्रालय । करोड़ों के नए प्रोजेक्ट। ऑपरेटरों को स्पेक्ट्रम वितरण और टेलीफोन लाइनों के विस्तार में पैसे का बड़ा खेल।
ग्रामीण विकास : नरेगा जैसी फ्लैगशिप योजना। ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार देने में अव्वल। जनता को सीधे प्रभावित करने का मौका।
स्वास्थ्य : ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन। छह नए एम्स बनाने का प्रस्ताव। शहरी स्वास्थ्य मिशन को लाने की योजना। जनता पर सीधा असर।
सड़क परिवहन : करोड़ों की सड़क परियोजनाएं। काम का जनता पर सीधा असर।
2 comments:
इतना गहराई में उतरे:
ये वो लोग हैं जिन्हें दरिया मंत्रालय भी दे दो तो लहर गिन के पैसा बना लें..विश्वास जानो, करोंड़ों में ही.
सत्ता सुख हमको मिले चाहत यही प्रधान।
ढ़ील पेंच का खेल है दिखलाते सब ज्ञान।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
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