आयकर विभाग इन दिनोँ देश भर मेँ छापेमारी कर रहा है! मध्यप्रदेश के बाद अब छत्तीसगढ के आला अधिकारी भी आयकर विभाग के निशाने पर आ गये हैँ! आईएस अधिकारियोँ और नेताओँ के गद्दोँ और बाथरूमोँ मेँ कुबेर के खजाने मिले होँ ये कोई पहली बार नहीँ हुआ है! लेकिन मीडिया मेँ इन खबरोँ के आने के बाद काफी लोगोँ ने अपने बेडरूम और बाथरूम की सफाई करवा दी है! कम से कम मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ के बडे अधिकारी अब कोई रिस्क लेने के मूड मेँ नहीँ हैँ! ये बात दीगर है कि इन भ्रष्ट अधिकारियोँ का सूचना तँत्र इतना व्यापक है कि छापे-मारी की कार्रवाई से पहले ही इनहेँ सूचना मिल जाती है! लेकिन फिर भी सावधानी मेँ ही समझदारी है ये बात हमारे जीनियस अधिकारी अच्छी तरह जानते हैँ!
लेकिन शिवसेना, शाहरुख और राहुल गाँधी की महाभारत के बीच इस मुद्दे की चर्चा कोई करना नहीँ चाहता! हालाकि चर्चा तो राहुल के मुँबई दौरे के वक्त पाकिस्तान मेँ मनाये गये काशिमीर डे की भी नहीँ हुई! जहाँ बडे पैमाने पर भारत विरोधी नारे लगाये गये थे! और भारत मेँ आतँकवाद फैलाने के लिये लश्कर की जम कर पीठ थपथपायी गई थी! कश्मीर के एक अलगाववादी नेता ने इस सभा को फोन पर एड्रेस भी किया था! पाकिस्तान की सरकार ने भी प्रदर्शनोँ का समर्थन किया! इस सभा मेँ भारत पर आतँकी हमले करने वाले मोहममद हामिद सईद सहित कईँ आतँकी भी शामिल हुए थे! लेकिन हमारी सरकार ने पाकिस्तान से इसका कोई जवाब नहीँ माँगा! उससे भी चकित कर देने वाली बात ये कि उसी दिन हमारी सरकार ने पाकिस्तान के सामने बातचीत की पेशकश की! पाकिस्तान मेँ खुलेआम भारत पर हमले करने वाले आतँकी भारत के खिलाफ जिहाद यानि युध्द करने के लिये वहाँ की आवाम को उकसा रहे हैँ! पाकिस्तानी सरकार उनहेँ गिरफ्तार करने की बजाय उनके समर्थन मेँ बयान दे रही है ( पाकिस्तान के प्रधानमँत्री ने उसी दिन कश्मीर की आज़ादी के समर्थन मेँ बयान दिया था!)!....... हमारी सरकार उसी दिन पाकिस्तान से बातचीत की पेशकश करती है! और.......... हमारा मीडिया राहुल के मुँबई दौरे का चँदबरदई स्टाईल मेँ गुणगान करते नहीँ थकता! ये भ्रष्टाचार का कौन सा प्रकर है इसका फैसला आप ही कीजिये! फिलहाल मैँ बात कर रहा हूँ बिहार की!
बिहार मेँ इन दिनोँ मुख्यमँत्री नितिश कुमार आपरेशन क्लीन बिहार चला रहे हैँ! ( इसकी चर्चा भी मीडिया मेँ कहीँ नहीँ है!) नितीश खुश हैँ कि बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम 2009 को मँजूरी देने के लिये केन्द्र सरकार सहमत हो गई है! अब उनकी नज़र भ्रष्टाचार की कमाई से बनी आलीशान इमारतोँ पर है! इस कानून के लागू होने के बाद इन इमारतोँ को जब्त कर नितीश इनमेँ गरीब बच्चोँ के लिये सरकारी स्कूल खोल देँगे!
अपराधोँ के कुछ वर्गोँ के जल्द निपटारे और भ्रष्टाचार से जुडी सँपत्ति के अधिग्रहण को आसान बनाने के लिये विशेष न्यायलयोँ का गठन इस विधेयक के माध्यम से किया जायेगा! विधेयक की प्रस्तावना मेँ कहा गया है कि चूँकि सरकार के पास ऐसा मानने के पर्याप्त कारण मौजूद हैँ कि सार्वजनिक पदोँ पर कार्य या कार्य कर चुके व्यक्तियोँ, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 2ग के तहत लोकसेवक भी हैँ, ने बडी सँख्या मेँ अकूत धन अर्जित किया है, जो उनकी आय के ज्ञात स्त्रोतोँ से मेल नहीँ खाता है! इसलिये अब राज्य सरकार अधिसूचना जारी कर पर्याप्त सँख्या मेँ विशेष न्यायालयोँ की स्थापना करेगी! इन विशेष न्यायलयोँ की अध्यक्षता पटना उच्च न्यायाल की सहमति और राज्य सरकार की और से निर्दिष्ट न्यायाधीश करेँगे! बिहार मेँ सता मेँ आने के बाद मुख्यमँत्री नितीश कुमार के सामने हर स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार पर विराम लगाने की चुनौती मुँह बाँये खडी थी! सच तो यही है कि आज़ादी के बाद से ही बिहार मेँ घोटालोँ की बुनियाद पड गई थी! छोआ घोटाले से शुरु हुआ ये सिलसिला 2004 के बाढ राहत घोटाले तक जारी रहा! देर आये, दुरुस्त आये वाली कहावत यहाँ चरितार्थ होती दिखती है! क्योँकि बिहार नहीँ ये तो पूरे देश मेँ पहले ही हो जाना चाहिये था! आपरेशन क्लीन बिहार की शुरुआत कर नितिश ने बाकी राज्योँ को भी एक राह दिखाई है! अब देखना ये है कि बाकी राज्य पाटॅलिपुत्र से शिक्षा लेते हैँ या नहीँ
4 comments:
देखते चलिये..:)
nahi lagta ki kabhi corruption khatm hoga......reason bilkul saaf hai na Govt. chahti hai na bureaucrats
क्या अब भी कुछ देखना बाकी रह गया है? उडनतश्तरी जी!
प्रिया जी, ब्यूरोकेसी को कोसने से कुछ नहीँ होने वाला है! क्योँकि ब्यूरोक्रेसी तो सिस्टम का एक हिस्सा भर है! क्या आपको ऐसा लगता है कि सिर्फ सरकारी तँत्र मेँ ही भ्रष्टाचार है? सरकारी तँत्र मेँ व्याप्त भ्रष्टाचार की तो, फिर भी बात हो जाती है! और इससे निपटॅने के लिये एजेँसीयाँ भी हैँ! लेकिन निजी सेक्टर और कारपोरेट जगत जो पूरा भ्रष्टाचार मेँ डूबा है उसका आप क्या करेँगे? देश मेँ ऐसा कौन-सा करपोरेट साम्राज्य है जो शोषण और भ्रष्टाचार के सहारे के बिना खडा हुआ हो? बँगाल का नवाब सिराजुद्दोला 23 जून 1757 को अपने पचास हज़ार सैनिकोँ के साथ प्लासी के मैदान मेँ अँग्रेजोँ की महज़ सात हज़ार सेना की टुकडी के साथ युध्द करने पहुँचा था! लेकिन इस युध्द मेँ बँगाल का नवाब सिराजुद्दोला मारा गया! क्योँकि उसका सेनापति मीर कासिम अँग्रेज़ोँ से जा मिला था! मीर कासिम को अँग्रेजोँ ने बँगाल का नवाब बनाने का लालच दिया था! उस वक्त कौन सी ब्यूरोक्रेसी थी? लेकिन भ्रष्टाचार के ऎसे उदाहरणोँ से इतिहास के पन्ने रँगे हुए मिलेँगे! दरसल हम लोग जिस नज़रिये से भ्रष्टाचार को देखते हैँ वो नज़रिया सही नहीँ है!
भ्रष्टाचार को महज़ सरकारी तँत्र के साथ जोड कर नहीँ देखा जाना चाहिये!
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