Saturday, 6 February 2010

क्या युवराज करेँगे लोकतँत्र का इलाज?

अगर सरकार खुद ये स्वीकार कर रही है कि आज़ादी के छ्ह दशक के बाद चालीस करोड हिँदुस्तानी गरीबी की रेखा के नीचे बसर कर रहे हैँ तो ये लोकतँत्र किसके लिये हैँ इस बात का अँदाज़ा लगाया जा सकता है! ज़्यादा दिन नहीँ हुए जब दिल्ली की सरकार को कोर्ट ने कामनवेल्थ गेम्स के नाम पर हाड कपा देने वाली सर्दी मेँ गरीबोँ के आशियाने तोडने पर फटकार लगाई थी! मतलब साफ है कि लोकतँत्र की आड मेँ पूँजीवादी ताकतेँ अपना हित साध रही हैँ! मध्य प्रदेश मेँ एक आईएस दम्पत्ति के गद्दोँ से करोडोँ रुपये बरामद हुए! लेकिन सरकार कार्रवाई के लिये जाँच रिपोर्ट का इँतज़ार कर रही है! यानी हमारा सिस्टम भी ताकतवर का साथ देता है! और कमज़ोर को सज़ा देता है! ये वही मुख्यमँत्री शिवराज हैँ जो थोडी सी अनियमितता पर कर्मचारियोँ को कडी सज़ा देते हैँ! लेकिन इस बार मामला आईएएस साहब का है! ऐसे मेँ राहुल सिस्टम को कैसे बदलेँगे ये तो राहुल ही जानेँ! क्योँकि उनके पिता राजीव गाँधी भी इन मुद्दोँ पर कुछ ऐसी ही क्राँतिकारी सोच रखते थे! ये बात दीगर है कि उनके रहते काँग्रेस नेताओँ पर भ्रष्टाचार और घोटालोँ के कम आरोप नहीँ लगे! नेहरु भी देश मेँ समाजवाद लाना चाहते थे! इँदिरा भी गरीबी हटाना चाहती थी! राजीव भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहते थे! इसीलिये एक बार उनहोँने कह दिया था कि गरीबोँ के लिये उपर से चलने वाला एक रुपया जब गरीबोँ तक पहुँचता है तो वह दस पैसे रह जाता है! उस वक्त इस बयान के लिये राजीव गाँधी की खूब वाह वाही हुई थी! मैँ छोटा था! स्कूल मेँ पढता था..! ज्यादा समझ नहीँ थी तब! लेकिन इस बात पर तब मुझे आश्चर्य हुआ था कि देश के प्रधानमँत्री खुद इतने बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार को स्वीकार रहे हैँ तो इसके लिये ज़िम्मेदार कौन है? क्या भ्रष्टाचार ना रोक पाने के लिये सरकार की कोई ज़िम्मेदारी नहीँ बनती? अगर सरकार मेँ शामिल मँत्री ही घोटालोँ मेँ लिप्त पाये जायेँ तो क्या प्रधानमँत्री ऐसे भ्रष्ट्र मँत्रीयोँ को नियुक्त करने के लिये दोषी नहीँ है? कहने की ज़रुरत नहीँ है कि राजीव और नरसिँहा राव सरकार मेँ रिकार्ड दागी मँत्री थे! कुछ दिनोँ पहले जब राहुल गाँधी ने कहा कि नरेगा के लिये केँद्र से चला पैसा गरीबोँ तक पूरी तरह नहीँ पहुँच रहा तो मुझे राजीव गाँधी का वो पुराना बयान याद आ गया! मतलब साफ है नेहरु समाजवाद लाना चाहते थे! लेकिन समाजवाद पीढीयाँ के बीत जाने के बाद भी नहीँ आया! इँदिरा गरीबी मिटाना चाहती थीँ! लेकिन इँदिरा के बाद भी गरीबी नहीँ मिटी! राजीव भ्रष्टाचार मिटाना चाहते थे! राजीव के बाद अब वही बात राहुल दोहरा रहे हैँ! ये बात दीगर है कि राहुल गरीबी और समाजवाद की भी बात कर रहे हैँ! नेहरु से लेकर राहुल के युग तक जो बडा परिवर्तन हुआ वो ये कि समाजवाद तो नहीँ आया, लेकिन पूँजीवाद मजबूत हुआ! गरीबी तो नहीँ हटी लेकिन गरीब बढ गये! भ्रष्टाचार नहीँ मिटा उल्टा उसका पोषण हुआ! अब अपने नाज़ुक काँधोँ पर तीन पीढीयोँ का बोझ लिये काँग्रेस के युवराक क्या कमाल कर पायेँगे ये देखना दिलचस्प होगा!

1 comment:

praneykelekh said...

बहुत सही लिखा आपने ..
अब ये देखना है की ये बात देश की जनता भी कब तक समझेगी
भ्रष्ट नेताओ को कब तक वोट देकर उन्हें ही कोसते रहेंगे