Wednesday 2 June 2010

सरकार को दी चुनौती, मेट्रो में घुसा बंदर: दिल्ली से योगेश गुलाटी

दिल्ली मेट्रो में बंदर के घुसने के बाद से ही दिल्ली सरकार खासी चिंतित नज़र आ रही है! मुख्यमंत्री का ये सख्त आदेश था कि कामनवेल्थ गेम्स के मद्देनज़र गरीब और उनके पूर्वज यानि बंदर मेट्रो स्टेशन के आस-पास भी ना फटकें! गरीबों पर तो दिल्ली सरकार का ज़ोर चल गया लेकिन बंदरों पर नही चल सका! तमाम सुरक्षा व्यवस्था की धज्जियां उडाते हुए एक फिदायीन बंदर दिल्ली मेट्रो में घुसने में कामयाब हो ही गया! दिलशाद गार्डन की ओर जाने वाली रिठाला मेट्रो में ये बंदर ना केवल घुसने में कामयाब हुआ बल्कि उसने बकायदा मेट्रो में बिना टिकिट सफर भी कर डाला! हालाकि यात्रियों को इस बंदर के अपने साथ सफर करने से कोई परेशानी नहीं हुई और उन्होंने बिस्किट खिला कर अपने साथी यात्री का स्वागत किया!

लेकिन मेट्रो में बंदर के घुस आने की खबर लगते ही प्रशासन में हडकंप मच गया! उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि गरीबों का पूर्वज ये कम्बख्त बंदर इतनी कडी सुरक्षा के बावजूद इतनी बडी हिमाकत करने में कामयाब कैसे हो गया! इसलिये तत्काल बंदर को बाहर निकालने के लिये औद्योगिक सुरक्षा बल मौके पर बुला ली गई! मेट्रो ट्रेन को अगले स्टेशन पर रोक कर यात्रियों से खाली कराया गया! और फिर सुरक्षा बल के जवान बंदर को ट्रेन से बाहर निकालने के काम में जुट गये! इसके लिये उन्होंने साम-दाम, दंड-भेद सारी नीतियों का सहारा लिया! लेकिन कम्बख्त बंदर एयरकंडीशन ट्रेन से बाहर आने को राज़ी ही नहीं हुआ!

जब सुरक्षा बलों ने हार मान ली तो मेट्रो स्टाफ के एक समझदार कर्मचारी ने अक्ल का इस्तेमाल किया! उसने थोडे से चने मेट्रो के बाहर रख दिये, जिसे देख कर वो भोला बंदर ललचाया और एक ही छलांग में मेट्रो ट्रेन से बाहर आ गया! मेट्रो प्रशासन ने तत्काल मेट्रो ट्रेन के दरवाज़े बंद किये और मेट्रो को रवाना कर दिया! मेट्रो प्रशासन ने खुशी के लड्डू यात्रीयों में बंटवाए! इस कामयाबी की सूचना तत्काल मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचा दी गई! क्योंकि आखिर उन्हें गरीबों के पूर्वज उस बंदर को मेट्रो से बाहर करने में कामयाबी मिल गयी थी! खैर बंदर वो काम कर चुका था जो वो करने आया था! मेट्रो की सवारी कर वो दिल्ली सरकार को अपना संदेश दे चुका था!

दरसल इस घटना की स्क्रिप्ट घटना से एक दिन पहले ही रिठाला के नज़दीक एक बगीचे में उस समय लिख दी गई थी! जब सर्व समाज बंदर महा सभा ने सर्व सहमति से ये प्रस्ताव पारित किया था कि दिल्ली पर उनका भी उतना ही हक है जितना कि उनके वंशजों का! दिल्ली के तमाम बुध्दिजीवी बंदर इस सभा में शिरकत करने पहुंचे थे! सर्व समाज बंदर महासभा का मानना है कि वो भी दिल्लीवासी हैं, और रिश्ते में चूंकि इंसानों के पूर्वज हैं इस लिहाज से उन्हें सीनियर सिटिजन का दर्जा मिलना चाहिये! और इस गर्मी में मुफ्त में मेट्रो की सवारी की अनुमति मिलनी चाहिये!

ये सर्व समाज बंदर महासभा बंदरों के साथ दिल्ली सरकार के रवैये से खासी नाराज़ है! उनका कहना है कि दिल्ली सरकार को गरीबों की ही तरह उनकी भी कोई चिंता नहीं है! बल्कि दिल्ली सरकार ने पिछले साल बंदरों को दिल्ली से दफा करने के लिये ठीक वैसी ही मुहीम चालाई थी जैसी इन दिनों वो गरीबों के लिये चला रही है! लेकिन इस मुहीम को धता बताते हुए तमाम बंदर दिल्ली वापस आ गये! इतना ही नहीं इस मुहीम का विरोध करने की खातिर उन्होंने अन्य प्रदेशों से अपने रिश्तेदारों को भी बुला लिया था! और आज दिल्ली में पिछले साल की तुलना में दुगने बंदर हैं! सर्व समाज बंदर महासभा का कहना है कि वो गरीब नहीँ हैं, जो चुप रहेंगे! वो बंदर हैं और अपने हक की लडाई पुरज़ोर तरीके से लडेंगे!

इसतरह बंदर महसभा में सर्व सम्मत्ति से ये प्रस्ताव पास हुआ कि दिल्ली मेट्रो में घुस कर दिल्ली की शीला सरकार को चुनौती दी जाये! इसके लिये बकायदा एक ट्रेंड फिदायीन बंदर का इस्तेमाल किया गया! उसे किसी भी कीमत पर मेट्रो ट्रेन से बाहर ना आने की नसीहत दी गई थी! लेकिन वो मूर्ख बंदर गरीबों के ही तरह लालच में फंस गया! और थोडे से चने के लालच मे अपने उद्देश्य से भटक कर ट्रेन से बाहर आ गया! शायद इसलिये क्योंकि गरीब और बंदर दोनों में ही एक समानता उनका खाली पेट है! और शायद यही कारण है कि सरकार ने बंदर और उनके वंशजों को विदेशी मेहमानों के आने से पहले दिल्ली से बाहर करने की ठानी है! क्योंकि पेट की खातिर अगर इन्होंने विदेशी मेहमानों के सामने हाथ फैला दिये तो दिल्ली की इज़्ज़त का क्या होगा?

5 comments:

संजय पाराशर said...

Wo moorkh bandar garibo ke hi tarah lalach me fas gaya...
satya likha hai aapne.. garibo ki mazboori hoti hai varan bhrast adhikario aur netao ki.................................

संजय पाराशर said...

Wo moorkh bandar garibo ke hi tarah lalach me fas gaya...
satya likha hai aapne.. garibo ki mazboori hoti hai varan bhrast adhikario aur netao ki.................................

आचार्य उदय said...

आईये जाने .... प्रतिभाएं ही ईश्वर हैं !

आचार्य जी

M VERMA said...

बन्दर अगर अन्दर घुसा होगा तो अपनी निशानी जरूर छोड़ आया होगा

Udan Tashtari said...

मूरख बन्दर!!