Wednesday 22 July 2009

करोगे सच का सामना ?

कहते हैं रिश्ते ऊपर वाला तय करता है। किसको किससे मिलना है, किसके साथ रहना है, किसके साथ जाना है, सब कुछ 'लकीरों' में छिपा रहता है। पर, कुछ रिश्ते यहां भी बनते हैं, जिसे इंसान खुद बनाता है, इट मींस फिजिकल रिलेशन। रिश्तों को लेकर हमेशा से ही बहस होती रही है। कभी इसकी पहचान को लेकर, कभी इसकी सच्चाई को लेकर, तो कभी इसकी अहमियत को लेकर। होमोसेक्सुअल के बारे में किया जा रहा हो-हल्ला थमा भी नहीं था कि एक रियलिटी शो में फिजिकल रिलेशन सहित कई पर्सनल क्वेश्चंस अचानक से चर्चा का केंद्र बन गये। बीती जिंदगी के कई ऐसे सच, जिसे लोग भूलना चाहते हैं या भुलाने की कोशिश करते हैं, उसके बारे में पॉलीग्राफी मशीन के सामने सच उगलवाना कितना सच है। हालांकि सामाजिक ताने-बाने को कुरेदती-झकझोरती यह पहेली स्टार्टिग से ही इतनी पॉपुलर हो गई है कि समाजशास्त्रियों व मनोवैज्ञानिकों को बहस का फिर से एक बहाना मिल गया। हम न तो रियलिटी शो की बुराई कर रहे और न ही उसके पार्टिसिपेंट्स की, पर लाइफ की सच्चाई जानने का ऐसा प्लेटफार्म हमारी सोसायटी को हजम नहीं हो रहा। हम बात कर रहे हैं स्टार प्लस पर 15 जुलाई से मंडे टू फ्राइडे रात 10.30 बजे दिखाए जाने वाले रियलिटी शो 'सच का सामना' की। देश के कॉमन व सेलिब्रेटीज के लिए तैयार किये गए इस शो में पार्टिसिपेंट्स अपनों के बीच स्क्रीन पर देख रहे लाखों लोगों के सामने जिंदगी की सच्चाई की अग्निपरीक्षा देते हैं। शो में पार्टिसिपेंट्स से उनकी लाइफ के पर्सनल व इम्बरैसिंग सवाल पूछे जाते हैं, जिनके आंसर देकर वे एक ही दिन में करोड़पति बन सकते हैं।
इस शो को होस्ट कर रहे हैं राजीव खंडेलवाल। यह इंटरनेशनल रियलिटी गेम मोमेंट ऑफ ट्रूथ का रीमेक है, जिसे 23 देशों में मिली पॉपुलरिटी के बाद इंडियंस को देखने का मौका मिला है। इस साइकोलॉजिकल गेम में पार्टिसिपेंट्स से उनकी निजी जिंदगी से रिलेटेड सवाल पूछे जाते हैं, जो उन्होंने इससे पहले शायद किसी से शेयर किया हो। कितना सच, सच्चाई का सामना। यहां सवाल यह है कि कितना सच है सच का सामना करने वाला यह रियलिटी शो। फॉरेनर की तरह इंडियंस भी अब रियलिटी शोज के दीवने हो गये हैं, यह तो हर कोई जानता है। अब राखी के स्वयंवर को ही लीजिए, आइटम गर्ल राखी किससे शादी करेगी, कैसे करेगी, ये तो आने वाला वक्त बताएगा, पर इंडियन सोसायटी के लिए यह शो किसी नाटक से कम नहीं है। डॉक्टर सुभाषचंद्र झा कहते हैं कि इस तरह के रियलिटी शोज बस एक नाटक है। सच का सामना भी राखी के स्वयंवर की तरह नौटंकी ही है। सच्चाई की बात तो छोड़िए, जो चीज समाज में पर्दे के अंदर हो रहा है, उसे सबके सामने लाया जा रहा है, यह कहीं से भी जायज नहीं है। मेरी मानें तो सेंसर बोर्ड को इस शो पर बैन लगा देना चाहिए।
सवालों से इमोशनल अत्याचार
शो के पहले एपिसोड की पार्टिसिपेंट्स स्मिता मताई से कई बेतुके सवाल पूछे गए। दो बच्चों की मां स्मिता मुंबई में पति टोनी के साथ रहती हैं। वे वहां एक टिफिन ढाबा चलाती हैं। शो के दौरान उनसे मां के साथ उनके रिलेशन पर सवाल पूछे गए, जिससे वे इमोशनल हो गई थीं। उनसे पूछा गया कि पति अल्कोहलिक थे, जिससे आपकी मैरिज लाइफ अफेक्टेड हुई थी। इस दौरान आपके दिल में कभी भी उन्हें जान से मारने का ख्याल आया था। वहीं, दूसरे एपिसोड में यंग दिल वाले 64 वर्षीय लखनऊ के युसूफ हुसैन से कई पर्सनल सवाल पूछे गए। सच का सामना करते वक्त उनके साथ उनकी बेटी सफीना, गर्लफ्रेंड जेसबेल, पहली तीन पत्‍ि‌नयों में से एक कंचन, छोटे भाई हबीब और सन इन लॉ हंसल थे। ट्रेवल एजेंसी के मालिक और उर्दू पोएट युसूफ जो आर्ट, लिटरेचर और महिलाओं के दीवाने हैं, से पूछा गया कि आपको अब भी ड्रीम गर्ल का इंतजार है। आपका अपनी बेटी से कम उम्र की किसी लड़की के साथ फिजिकल रिलेशन रहा है? अब इस तरह के सवाल पूछने का क्या मतलब। क्रिश्चियन माइनॉरिटी एजुकेशनल सोसायटी के सेक्रेटरी व संत डोमिनिक सेवियोज हाई स्कूल के प्रिंसिपल ग्लेन जोसफ गॉल्स्टन का कहना है कि इस शो में लोग अपने मन से आते हैं, उन्हें प्रेशर नहीं दिया जाता। फिर भी, हर किसी की पर्सनल लाइफ होती है और उसमें औरों को नहीं झांकना चाहिए। वेल, एंटरटेनमेंट के लिए जब तक कुछ डिफरेंट नहीं होगा, व्यूअर्स अट्रैक्ट कैसे होंगे, इसीलिए टीवी चैनलों में ऐसा मसाला परोसा जा रहा है।
इस संबंध में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. बिंदा सिंह का कहना है कि रुपए-पैसों के लिए आदमी किसी भी हद तक जा सकता है। यह सच और झूठ के नाम पर सिर्फ कंप्यूजन पैदा करता है, जिसका सीधा असर बच्चों पर पड़ेगा। आज भी हमारी सोसायटी में इतना खुलापन नहीं आया है, लेकिन रियलिटी शो में इस तरह के खुलेपन की आड़ में एक गंदा मजाक पेश किया जा रहा है। वहीं डॉ सुधा सिन्हा का कहना है कि इस तरह के शोज से फैमिली पर बैड अफेक्ट पड़ेगा। सब जानते हैं कि एक-एक फैमिली मिलकर ही समाज बनता है। ऐसे शोज से हमारी सोसायटी में बिखराव आएगा।

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