Saturday 29 May 2010

जन्मदिन है आज सोच रहा मैं क्या खोया क्या पाया: दिल्ली से योगेश गुलाटी

जन्म दिन है आज सोच रहा मैं, क्या खोया क्या पाया,
क्या अब तक जीवन यों ही व्यर्थ गवाया?
कितने बसंत देखे अब तक उनका हिसाब करूं,
या आने वाले कल को मैं प्रणाम करूं?
करने क्या आया मैं धरा पर,
क्या इस पर विचार करूं?
या जीवन की उलझनों को मैं पार करूं,
क्या द्रव्य का संग्रहण ही लक्ष्य है जीवन का,
या जीवन में एक नया लक्ष्य मैं तैयार करूं!
जितना समझता हूं दुनिया को,
उतना ही होता हूं निराश,
इससे तो अच्छा था मैं बच्चा ही रहता,
दुनिया के छल-कपट से दूर मन का सच्चा ही रहता!

देखे दुनिया के मेले,
और मेलों में देखे झमेले,
धन की चिन्ता में पिसता इंसान,
जब पैसा ही बन जाता भगवान,
तब सस्ती हो जाती इंसानी जान,

सबकी यही कोशिश,
बनानी है अपनी पहचान,
और इसी पहचान की चाहत में,
चल पडा है हर इंसान,
लेकिन वो जानता नहीं कि,
रेत पर खींची लकीरों की तरह है इंसान का वजूद,
वजूद जो इक दिन मिट जायेगा,
सागर की लहरों से लकीरों का,
नाम फिर गुम जायेगा,
जो रहेगा वो कर्म हैं,
विचार हैं, और ये संसार है!
इस नश्वर संसार में अनश्वर कुछ भी नहीं,
परिवर्तन तो प्रकृतिक का नियम है,
इस नियम से बढकर कुछ भी नहीं,

एक मदारी आया था,
संग अपने वो बंदर लाया था,
डमरू की थाप पर नाचता था बंदर,
मदारी की हर बात को मानता था बंदर,
वो कहता उठ तो उठ जाता,
वो कहता बैठ तो वो बैठ जाता,
मदारी के कहने पर वो करता था हर काम,
और हाथ जोड कर करता था सबको सलाम!
लेकिन जीवन मदारी का खेल तो नहीं,
पटरी पर चलने वाली ये कोई रेल तो नहीं,
जब तक ना मिलती राह कोई,
जीवन तब तक संग्राम रहेगा,
मंज़िल पर जब तक ना पहुंचोगे,
तब तक नहीं आराम रहेगा!

5 comments:

honesty project democracy said...

विचारणीय और कुछ ईमानदारी से सार्थक करने व सोचने को प्रेरित करती पोस्ट |

Udan Tashtari said...

जन्म दिन की मुबारकबाद तो ले ही लें.

आपका अख्तर खान अकेला said...

yogesh ji jnm din mubaark ho jnm din pr jivn ke bhut or bhvishy ke lekhaa jokha tyyaar krne kaa andaas psnd aayaa bdhaai ho . akhtar khan akela kota rajasthan mera hindi blog akhtarkhanakela.blogspot.com he

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

Wishing U a Very Happy Birthday.....

योगेश गुलाटी said...

thanx.